*केकड़ी 27मई (पब्लिक बोलेगी न्यूज़ नेटवर्क )*
*सावर क्षेत्र के गोरधा बांध से नीचे की ओर, घाणी घट्टा के पास एक टिटहरी (टिठोड़ी) द्वारा खुले कंकरीले मैदान में अंडे देने की घटना ने स्थानीय ग्रामीणों में मानसून को लेकर चर्चा तेज़ कर दी है। वर्षों से चली आ रही लोक मान्यता के अनुसार, टिटहरी के अंडों की दिशा और स्थान से बारिश के समय और तीव्रता का अनुमान लगाया जाता है।*
*गोरधा निवासी बुजुर्ग किसान रामेश्वर मीणा बताते हैं, “टिटहरी बहुत समझदार पक्षी है। जब यह निचली ज़मीन पर अंडे देती है, तो इसका मतलब है कि बारिश देर से और धीरे-धीरे होगी। अगर बारिश तेज़ आती, तो अंडे बह जाते। इसलिए इसका स्थान खुद ही मौसम का संकेत है।”*
*इस बार टिटहरी ने अंडे कंकरीली और खुली जगह पर दिए हैं, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि मानसून का आगमन थोड़ी देरी से होगा, लेकिन वर्षा नियमित और संतुलित रहने की संभावना है।*
*घाणी घट्टा क्षेत्र, जो कि गोरधा बांध के नीचे फैला है, प्राकृतिक संकेतों और वन्य जीवन के लिए प्रसिद्ध है। यहां के किसान पारंपरिक अनुभवों पर आधारित मौसम पूर्वानुमान को आज भी अपने खेतों की तैयारी का आधार मानते हैं।*
*हालांकि विज्ञान इस प्रकार की मान्यताओं को पूर्ण रूप से प्रमाणित नहीं करता, लेकिन प्रकृति के साथ ग्रामीणों का जुड़ाव और अनुभव आज भी अनेक बार सटीक साबित होता है।*

