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सम्पत्ति विभाजन एवं स्थाई निषेधाज्ञा के एक मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम केकड़ी ने सम्पत्ति विभाजन के वादपत्र को खारिज करने के आदेश दिए।*

*केकड़ी 8 अप्रैल (पवन राठी)*
*ग्राम कादेड़ा निवासी राधेश्याम पुत्र मदन लाल ने न्यायालय में एक दीवानी वादपत्र पेश कर बताया कि ग्राम कादेड़ा में बस स्टैंड के पास उसका व कृष्णा देवी, बनवारी, महावीर, व श्रवण कुमार की एक पुश्तैनी जायदाद स्थित है। उक्त जायदाद उसकी पैतृक संपत्ति है जिसका स्वामी पहले उसका पिता मदनलाल था। मदनलाल का स्वर्गवास हो गया है तथा उसकी माता का भी स्वर्गवास हो गया है। तत्पश्चात उक्त संपत्ति स्वर्गीय मदनलाल के तीन पुत्र गोपाल, श्रवण व राधेश्याम के संयुक्त कब्जे, उपयोग, स्वामित्व में चली आ रही है तथा उसके बड़े भाई गोपाल का स्वर्गवास भी करीब 16 वर्ष पहले रोड दुर्घटना में हो गया तथा कृष्णा देवी, बनवारी व महावीर उसके वारिस हैं उक्त संपत्ति में उसका 1/3 हिस्सा स्वर्गीय गोपाल के वारिसान का 1/3  हिस्सा व प्रतिवादी श्रवण का 1/3 हिस्सा है।  वादपत्र में उसने बताया कि वह कई वर्षों से सिलाई का कार्य करने के लिए बिजयनगर रहता है तथा समय-समय पर उक्त जायदाद में भी आकर रहता है उक्त जायदाद में गली के अंदर स्थित चार दुकानें व सामने की ओर स्थित एक दुकान किराए पर चली आ रही है। 1 जनवरी 2017 को उसने प्रतिवादीगण से प्राप्त किराया राशि का 1/3 हिस्सा मांगा तो नहीं दिया तो उसने उक्त संपत्ति का विभाजन करने हेतु कहा तो प्रतिवादीगण ने आनाकानी की व मना कर दिया व उक्त संपत्ति में तोड़फोड़ व रिष्टि करने लगा उसने संपत्ति की विधिवत जरिए मिंट्स एंड बाउंड्स मौके पर विभाजन करवा कर अपना 1/3 हिस्सा अलग करवाना चाहता है। उक्त प्रकरण में प्रतिवादी श्रवण कुमार की ओर से एडवोकेट आसिफ हुसैन ने पैरवी की ओर से जवाब प्रस्तुत किया गया जिसमें 12 अप्रैल 2016 के पारिवारिक बंटवारा सहमति – पत्र तहरीर किया जाना व ब्लूप्रिंट में पक्षकारों के हस्ताक्षर तथा सहमति के हस्ताक्षर के तथ्य प्रस्तुत किये तथा बहनों की बंटवारा सहमति- पत्र में बतौर गवाह हस्ताक्षर तथा पारिवारिक बंटवारा सहमति पत्र नोटरी पब्लिक से तस्दीकशुदा है जिसके अनुसार ही उनके अपनी-अपनी संपत्ति पर काबिज होना बताया तथा वादपत्र खारिज करने का निवेदन किया तथा अपने पक्षकार की ओर से कई साक्ष्य प्रस्तुत किये उक्त प्रकरण की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने एडवोकेट आसीफ हुसैन के तर्कों से सहमत होते हुए संपत्ति विभाजन एवं स्थाई निषेधाज्ञा के वादपत्र को खारिज करने के आदेश दिए।*