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केकड़ी थाने में शांति समिति की बैठक सम्पन्न, सरकारी एडवाइजरी की पालना पर रहा फोकस*

*शांति और सुरक्षा के लिए ब्लैकआउट जरूरी, हर नागरिक निभाए भूमिका*

*10बजे बाद ब्लैक आउट की अपील की*
*केकड़ी, 10 मई (पब्लिक बोलेगी न्यूज़ नेटवर्क)*
*शनिवार को केकड़ी सिटी पुलिस थाने में सीएलजी एवं शांति समिति की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता उपखंड अधिकारी सुभाषचंद्र हेमानी ने की। बैठक में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरोजमल मीणा, पुलिस उप अधीक्षक हर्षित शर्मा, शहर थानाधिकारी कुसुमलता मीणा, शांति समिति के सदस्य विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि व नागरिकगण उपस्थित रहे। बैठक में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी की पूर्ण पालना करने का आह्वान किया गया।*
*उपखंड अधिकारी सुभाषचंद्र हेमानी ने कहा कि शहर में शांति एवं सौहार्द्र बनाए रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे भ्रामक जानकारी या अफवाहों से दूर रहें और प्रशासन को सहयोग प्रदान करें। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरोजमल मीणा ने स्पष्ट किया कि कानून व्यवस्था को भंग करने वाले किसी भी तत्व के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि ब्लैकआउट की व्यवस्था को सफल बनाने के लिए दुकानदार रात 10 बजे के बाद अपने बोर्ड व बिजली उपकरणों को बंद कर दें।पुलिस उप अधीक्षक हर्षित शर्मा ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आतंरिक सुरक्षा को चुनौती देने वाले तत्वों द्वारा ड्रोन कैमरों, आतिशबाजी या पटाखों का दुरुपयोग किया जा सकता है जिससे शांति भंग हो सकती है।*उन्होंने बताया कि ऐसी किसी भी गतिविधि पर त्वरित निरोधात्मक कार्रवाई की जाएगी।थानाधिकारी कुसुमलता मीणा ने बैठक में मौजूद नागरिकों से आह्वान किया कि वे पुलिस प्रशासन से सतत संपर्क में रहें और कोई भी संदिग्ध गतिविधि दिखाई देने पर तुरंत सूचना दें। बैठक में सामूहिक रूप से निर्णय लिया गया कि हर नागरिक का दायित्व है कि वह सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने में भागीदार बने।*

*ब्लैकआउट क्या होता है?*

*ब्लैकआउट का मतलब होता है किसी इलाके में सभी तरह की रोशनी को बंद कर देना या बहुत कम कर देना। इसका मुख्य उद्देश्य यह होता है कि रात के समय दुश्मन के जहाजों को निशाना बनाने में मुश्किल हो। यह नागरिक सुरक्षा का एक तरीका होता है, जिसमें आम लोग भी अपनी सुरक्षा में मदद करते हैं। 7 मई को देश के 244 जिलों में ब्लैकआउट का अभ्यास कराया गया। इसका मकसद यह था कि लोगों को यह सिखाया जा सके कि अगर कोई हमला हो तो उन्हें क्या करना चाहिए।*

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