*ट्रायल कोर्ट के योग्य वकीलों को भी न्यायाधिपति के रूप में नियुक्ति दी जाए-डॉ.मनोज आहूजा*
*केकड़ी 4 जुलाई (पब्लिक बोलेगी न्यूज़ नेटवर्क)*
*केकड़ी बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों व सदस्यों ने शुक्रवार को केकड़ी उपखंड अधिकारी के प्रतिनिधि को राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर न्यायिक व्यवस्था में व्यावहारिक सुधार करते हुए कॉलेजियम प्रणाली में संशोधन की मांग की। बार एसोसिएशन ने ज्ञापन में बताया कि वर्तमान में कॉलेजियम प्रणाली के तहत उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं को ही न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाता है।जबकि ट्रायल कोर्ट्स (विचारण न्यायालयों) में वर्षों से सेवा देने वाले अनुभवी अधिवक्ताओं को इस प्रक्रिया में अवसर नहीं मिल पाता। ज्ञापन में बताया कि ट्रायल कोर्ट्स देश की न्यायिक प्रक्रिया की नींव होते हैं और वहीं से मुकदमों की शुरुआत होती है। ऐसे में ट्रायल कोर्ट्स के अधिवक्ताओं को विभिन्न कानूनी पहलुओं, जैसे कि दीवानी, फौजदारी, पारिवारिक विवाद, उपभोक्ता विवाद, मोटर दुर्घटना दावे, श्रमिक विवाद आदि का गहरा अनुभव होता है। इस अनुभव को न्यायिक नियुक्तियों में नजरअंदाज किया जाना न्यायिक गुणवत्ता के साथ अन्याय है। बार एसोसिएशन ने यह भी तर्क दिया कि जहां हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के वकील आमतौर पर किसी विशेष क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं, वहीं ट्रायल कोर्ट के अधिवक्ताओं को लगभग हर प्रकार के कानून में व्यापक अनुभव प्राप्त होता है, जिससे वे एक निष्पक्ष और संतुलित न्यायाधीश के रूप में कार्य करने के अधिक सक्षम होते हैं। ज्ञापन के माध्यम से बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मांग की कि कॉलेजियम व्यवस्था में आवश्यक संशोधन कर ट्रायल कोर्ट्स में प्रैक्टिस करने वाले योग्य अधिवक्ताओं को भी उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश नियुक्त करने की प्रक्रिया में शामिल किया जाए, जिससे न्यायिक व्यवस्था को और अधिक सक्षम, जमीनी और प्रभावशाली बनाया जा सके।*
*इस अवसर पर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज आहूजा, वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र अग्रवाल, शैलेंद्र सिंह राठौड़, सीताराम गुप्ता, उपाध्यक्ष शिवप्रसाद पाराशर, महासचिव मुकेश शर्मा, अभिनव अग्रवाल, भैरू सिंह राठौड़, शैलेन्द्र देवड़ा, सानिया सेन, राकेश गुर्जर, मुकेश गढ़वाल, योगेंद्र सिंह एवं अन्य अधिवक्ता उपस्थित थे।*



