*आरोपी सुमेर सिंह की और से एडवोकेट अशोक सिंह रावत व डॉ. मनोज आहूजा ने की पैरवी*
*केकड़ी 13 मई(पब्लिक बोलेगी न्यूज़ नेटवर्क)*
*अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश संख्या दो के जज प्रवीण कुमार ने कंवलाई निवासी सुमेर सिंह पुत्र भंवर सिंह रावत की और से प्रस्तुत रिवीजन याचिका स्वीकार करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट सरवाड़ द्वारा लिए गए प्रसंज्ञान आदेश को ख़ारिज करने के आदेश पारित किये हैं।प्रकरण के तथ्यों के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए एडवोकेट डॉ.मनोज आहूजा ने बताया कि दिनांक 25 मई 2019 को परिवादिया सुशीला किन्नर ने पुलिस थाना बोराड़ा में एक रिपोर्ट इस आशय की दर्ज करवाई कि वह उक्त दिनांक को दोपहर करीब 12 बजे उगाई करने के लिए बोराड़ा गई थी उस समय उसकी स्विफ्ट कार का चालक सुमेर सिंह था जिसने उसके पर्स को छीन लिया तथा उसके साथ मारपीट करके 30 हजार रूपये भी लूट लिए।इसके बाद 28 मई को सुमेर सिंह व उसके पिता ने उसे धमकी दी कि यदि तूने रिपोर्ट दी तो तुझे खान में दबाकर मार दूंगा।मेरे पत्थर की खान है जिसमें बारूद काम आता है जो तेरे घर पर डाल कर तुझे व तेरी गाय को उड़ा दूंगा।उक्त रिपोर्ट पर पुलिस थाना बोराड़ा ने मुकदमा दर्ज कर बाद अनुसन्धान न्यायालय में एफ आर पेश की जिसके बाद परिवादिया ने स्वंय के तथा गवाह बदरुद्दीन व मुकेश के बयान दर्ज करवाए जिसे आधार मानते हुए कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 381 व 323 में प्रसंज्ञान लेते हुए आरोपी सुमेर सिंह को जरिये गिरफ्तारी वारंट के तलब किया।उक्त आदेश की रिवीजन याचिका पेश करते हुए एडवोकेट अशोक सिंह रावत, डॉ.मनोज आहूजा,भैरू सिंह राठौड़ व रवि शर्मा ने पैरवी करते हुए निवेदन किया कि अधीनस्थ न्यायालय ने परिवादी और उसके हितबद्ध गवाहों के बयानों के आधार पर प्रसंज्ञान लिया है जबकि उक्त दोनों गवाहों का एफआईआर में नाम नहीं है।आरोपी सुमेर सिंह परिवादिया सुशीला किन्नर की गाड़ी चलाता था जिसने अब गाड़ी चलाने में असमर्थता जता दी इसलिये उसके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करवाया है।परिवादी की और से प्रस्तुत मेडिकल साक्ष्य व मौखिक साक्ष्य में भी विरोधाभास है तथा दौराने अनुसन्धान आरोपी के कब्जे से कोई बरामदगी नहीं हुई है आदि तर्को से सहमत होते हुए न्यायाधीश ने सरवाड़ के मजिस्ट्रेट द्वारा लिए गए प्रसंज्ञान आदेश को अवैध मानते हुए अपास्त करने के आदेश पारित किये हैं।आरोपी सुमेर सिंह की और से एडवोकेट अशोक सिंह रावत व डॉ. मनोज आहूजा ने पैरवी की।*
