केकड़ी 6 मई (पब्लिक बोलेगी न्यूज़ नेटवर्क )*
*भक्ति में जब भक्त लीन हो जाता है तो तन मन धन सब कुछ समर्पित कर देता है आस्था से ही भक्ति के बीज का अंकुरण होता है । जैन संतों की साधना एवं आराधना की विशेषता को ही भारत का समस्त जनमानस नत मस्तक है । बोहरा काॅलोनी स्थित शिवम वाटिका में आचार्य श्री इंद्रनंदी जी महाराज ससंघ एवं आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी के सानिध्य में एवं विधानाचार्य कपिल शास्त्री के निर्देशन में मय संगीत एवं साज बाज के साथ श्री कल्पद्रुम महामंडल विधान के अंतर्गत धर्म उपदेश में कहे । उन्होंने कहा कि समवशरण प्रभु का महल है कुबेर उत्तम से उत्तम वस्तुओं के द्वारा समवशरण की रचना करता है । कल्पद्रुम महामंडल विधान महान अतिशयकारी है इस विधान को करने और कराने से सातिशय पुण्य की फल की प्राप्ति होती है । प्रातः जिनाभिषेक शांति धारा जिनेंद्र अर्चना सहित समवशरण में विराजमान चतुर्दिशा में श्री जी का अभिषेक एवं शांति धारा इंद्र परिवार द्वारा की गयी। विधान के 208 अघ्र्य श्रीफल सहित समर्पित किए गए एवं विधान का समापन पूर्णाहुति एवं विश्व शांति महायज्ञ संपन्न हुआ । तत्पश्चात समवशरण में विराजमान श्री जी को बैंड बाजे के साथ श्री नेमीनाथ मंदिर में विराजमान किया गया । समय शरण में स्थापित रजत कलश सौर्ध इंद्र श्री टीकमचंद विपिन कुमार जितेंद्र कुमार सानिध्य मित्तल परिवार सहित चयनित पात्रों एवं इंद्र द्वारा ले जाया गया । आर्यिका माताजी द्वारा सौधर्म इंद्र एवं इंद्र सहित चयनित पात्रों का एवं विधान सामग्री पुण्यार्जक परिवार एवं भोजन पुण्यार्जक परिवार का सम्मान किया गया । शाम को 5ः00 बजे आचार्य इंद्र नंदी जी महाराज ससंघ एवं आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी का 13 मई से प्रारंभ होने जा रहे सावर में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महा महोत्सव में शामिल होने के लिए विहार हुआ।*

