*केकड़ी 27अप्रैल (पब्लिक बोलेगी न्यूज़ नेटवर्क)*
*इंसान सभी वस्तुओं का उपभोग नहीं कर सकता है यदि जो वस्तु उपयोग में नहीं आ रही तो उसका जब तक उपयोग नहीं होता तब तक नियम लेकर त्याग धर्म का पालन कर सकता है । त्याग करने का आशय है कि अपने कर्मबंधन का क्षयोपशम है।*
*बोहरा काॅलोनी स्थित शिवम वाटिका में आयोजित धर्म सभा में आर्यिका 105 श्री स्वस्तिभूषण माताजी ने अपने धर्म उपदेश में कहे । उन्होंने कहा कि पदार्थ के प्रति आसक्ति मोह अनुराग के प्रति त्याग भावना कर पाप कर्मों से बचना चाहिए । घुटने घुटने चलते हुए खड़ा होने की क्षमता प्राप्त कर लेते हैं उसी प्रकार छोटे-छोटे नियम लेकर महाव्रत को धारण कर सकते हैं । जीवन संयम पूर्वक सावधानी रखते हुए जीवन जीने की कला के प्रति साम्य भाव बनाना चाहिए ।*
*प्रातः जिनाभिषेक के शांति धारा जिनेंद्र अर्चना एवं धार्मिक क्रियाएं आर्यिका ससंघ के सानिध्य में संपन्न हुई । मीडिया प्रभारी रमेश बंसल ने बताया कि चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्जवलन समाज के श्रेष्ठिजन सोभागमल रामथला, वेद्य ज्ञानचंद देवड़िया, सुबोध कासलीवाल, महावीर जैन बिजवाड़, रमेश जैन मेहरू, महेंद्र पाटनी, कैलाशचंद जूनियां ने करने का सौभाग्य प्राप्त किया । पाद प्रक्षालन का सौभाग्य राजेंद्र कुमार अर्पित कुमार अजगरा परिवार ने प्राप्त किया । शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य शुभकामना परिवार सन्मति शाखा द्वारा किया गया।* *समाज के अमरचंद चैरूका ने बताया कि अक्षय तृतीया के पुनीत अवसर पर 30 अप्रैल शाम को आर्यिका संघ के सानिध्य में 48 रजत दीपों द्वारा 48 स्थानों पर श्री भक्तामर स्त्रोत के 48 काव्यों का मय संगीत के साथ पाठ किया जाएगा एवं दीप समर्पित किए जाएंगे । शाम को आरती भक्ति एवं आनंद यात्रा संपन्न की गई ।धर्म सभा का संचालन निकेत शास्त्री द्वारा किया गया।*







